झांसी की रानी लक्ष्मीबाई: एक वीरांगना की कहानी
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई: एक वीरांगना की कहानी
भारतीय इतिहास में एक ऐसी महिला हुई हैं, जिन्होंने अपनी वीरता और साहस के बल पर देश के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। वह महिला थी झांसी की रानी लक्ष्मीबाई।
लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर, 1828 को वाराणसी में हुआ था। उनके पिता का नाम मोरोपंत ताम्बे था और माता का नाम भागीरथीबाई था। उनके जन्म के समय ही उनके पिता की मृत्यु हो गई थी, जिसके कारण उन्हें उनकी माता ने पालन-पोषण किया।
लक्ष्मीबाई की बचपन से ही वीरता और साहस की प्रतिमा दिखाई देती थी। उन्होंने अपने शिक्षा को भी बहुत महत्व दिया था और स्वतंत्रता संग्राम के विचारों से परिचित कराया था।
जब लक्ष्मीबाई 14 साल की थी, तब उन्होंने गंगाधर राव नारायण धोंडू पंत के साथ विवाह किया। उनकी शादी के बाद उन्हें झांसी की रानी के रूप में जाना जाने लगा।
लक्ष्मीबाई के पति गंगाधर राव नारायण धोंडू पंत की मृत्यु के बाद, उन्होंने अपने पति के राज्य का प्रबंध किया। लेकिन इस दौरान ब्रिटिश सरकार ने झांसी के राजा को उनके राज्य से हटा दिया।
इसके बाद लक्ष्मीबाई ने अपनी वीरता और साहस के बल पर झांसी की रानी बनकर अपने देश के लिए संघर्ष शुरू किया। उन्होंने अपने सैनिकों के साथ ब्रिटिश सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी और कई विजय प्राप्त की।
आखिरकार, 1858 में झांसी की लड़ाई में लक्ष्मीबाई की हत्या हो गई। लेकिन उनकी वीरता और साहस की कहानी आज भी लोगों को प्रेरित करती है।
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